कलेक्टर कैसे बनें ? ( Collector kaise bane )

 आप लोगों में से शायद ही कोई ऐसा होगा जो कलेक्टर(collector) का नाम तो सुना होगा। बहुत लोगों ने तो मूवी में कलेक्टर को देखा होगा। और आप लोगों में से बहुतों का सपना कलेक्टर (collector) बनने का भी होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि कलेक्टर कैसे बनते हैं यदि नहीं तो आज के हमारे इस पोस्ट में आपको कलेक्टर से संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त होंगी। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि कलेक्टर कौन होता है? कलेक्टर और डीएम में क्या अंतर होता है? कलेक्टर बनने के लिए क्या योग्यताएं होनी चाहिए ? कलेक्टर कैसे बने ? कलेक्टर की सैलरी कितनी है ?कलेक्टर का कार्य क्या होता है? कलेक्टर के पास पावर क्या होती ?

इन सभी प्रश्नों का उत्तर आपको इसी पोस्ट में मिलेगा तो आप इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें–

कलेक्टर कैसे बनें ? ( collector kaise bane )


कलेक्टर (collector) कौन होता है ?

कलेक्टर किसी भी जिले का राजस्व विभाग के प्रमुख अधिकारी होता है। इसे अंग्रेजी में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर कहते हैं। इसे DC ( district collector) भी कहते हैं। कलेक्टर का प्रमुख कार्य जिले में भू राजस्व संग्रह , भूमि संबंधित मामलों का निपटान करना तथा विभिन्न प्रकार के करों के भुगतान के लिए जिम्मेदार होता है। इसे जिला कलैक्टर भी कहते है।  


कलेक्टर बनने के लिए योग्यताएं

किसी भी आवेदक को कलेक्टर(collector) बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए–

1. आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए

2. आवेदक के पास ग्रेजुएशन की डिग्री किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से होनी चाहिए।

3. आवेदक का ग्रेजुएशन में कम से कम प्राप्तांक 50% होना चाहिए।

4. आवेदक की उम्र 21–32 वर्ष होनी चाहिए। उम्र में छूट ओबीसी के लिए 3 वर्ष और एसटी/एससी वालो को 5 वर्ष की मिलती है। 


कलेक्टर कैसे बनें : पूरी प्रक्रिया 


किसी भी जिले का कलेक्टर(collector) बनने के लिए आवेदक को उपरोक्त सभी योग्यताओं के साथ तैयार होना चाहिए और कलेक्टर बनने की पूरी प्रक्रिया नीचे पूरी प्रक्रिया स्टेप बाय स्टेप बताया जा रहा है –


       1. प्रारंभिक शिक्षा 12 वीं पास करे –


कलेक्टर(collector) बनने के लिए आवेदक को बचपन से ही कलेक्टर बनने के लिए जुनून होना चाहिए । आवेदक को सबसे पहले प्रारंभिक शिक्षा 12वीं पास करना होता है। 12 वीं किसी भी विषय से हो मायने नहीं रखता है । बस पास होना चाहिए। यह जरूरी होता है।  


        2. ग्रेजुएशन (स्नातक) की डिग्री ले :


कलेक्टर बनने के लिए आवेदक के लिए यह जरूरी है कि वह 12वीं पास करने के बाद ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के लिए किसी मान्यता प्राप्त प्राइवेट या गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन ले। और वह से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करें। कलेक्टर बनने के लिए आवेदक को ग्रेजुएशन करना जरूरी होता है। यह ग्रेजुएशन किसी भी विशेष विषय से हो यह मायने नहीं रखता है। कुछ प्रमुख ग्रेजुएशन डिग्री जैसे बीए, बीकॉम, बीएससी, बी टेक व बीबीए आदि होती है । या कोई भी ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए । 


     3. UPSC exam के लिए आवेदक करे :

इस तरह से आवेदक 12 वीं तथा ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद भारतीय सरकार द्वारा कराए जाने वाले आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS) , आईएफएस (IFS) ऑफिसर तीनो विभागो हेतु कराए जाने वाले सयुक्त परीक्षा यूपीएससी एक्जाम ( UPSC exam ) के लिए आवेदन करना होता है । यह एग्जाम साल में एक बार होता है। इसका आवेदन फॉर्म फरवरी महीने में तथा प्रारम्भिक परीक्षा जून में और मुख्य परीक्षा को सितंबर में कराया जाता है। इस एग्जाम के तीन चरण होते है ।


प्रारंभिक परीक्षा (Prillims exam)


एग्जाम के पहले चरण में आवेदक को प्रारंभिक परीक्षा देनी होती है इस परीक्षा को पास करने वाले आवेदक को अगले चरण की परीक्षा के लिए बुलाया जाता है।  


मुख्य परीक्षा (Mains exam )


जब आवेदक पीएससी एग्जाम (PSC exam) का प्रारंभिक परीक्षा पास कर लेता है । तो वह अगले चरण के लिए होने वाले mains exam का पेपर देना होता है। इस पेपर को पास करने आले आवेदक को अगले चरण में होने एक इंटरव्यू हेतु बुलाया जाता है ।


साक्षात्कार ( interview )पास करें


बहुत कम ही ऐसे आवेदक होते है जो इंटरव्यू के लिए बुलाए जाते है। जैसे ही आप mains exam को पास कर लेते है तो कुछ दिन के बाद आपको इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है । इस इंटरव्यू में आवेदक से विषय से संबंधित कुछ ट्रिकी प्रश्न पूछे जाते है। उनके parsent of mind से संबंधित प्रश्न पूछे जाते है। इसी आधार पर इंटरव्यू को पास किया जाता है। 



      4. मेडिकल और ट्रेनिंग दे 


इसके बाद जैसे ही आप यूपीएससी (UPSC) का एग्जाम पास कर लेते है तो आपका मेडिकल और ट्रेनिंग देना होता है । मेडिकल जांच के बाद आवेदक को ट्रेनिंग के भेजा जाता है। ट्रेनिंग के पूरा होने के बाद ही आपके रैंक के अनुसार पोस्ट मिलती है। 


UPSC एग्जाम में आपके द्वारा भरे गए first preference के आधार पर आपको पोस्ट मिलती है। इसके अलावा रैंक पर भी निर्भर करता है। तब जाकर आपको कलेक्टर का पद दिया जाता है।  


और इस प्रकार आप अपना सपना साकार कर सकते है। एक कलेक्टर बनके अपने आप को उच्चाइयों पर ले जा सकते है ।


एक कलेक्टर(collector) की सैलरी


कलेक्टर(collector) बनने के संबंध में सबसे अधिक कोई प्रश्न पूछा जाता है तो वह यह है कि एक कलेक्टर बनने के बाद हम कितना कमा सकते हैं । एक कलेक्टर की सैलरी कितनी होती है। एक कलेक्टर की सैलरी डीएम की सैलरी के बराबर या उससे कम होता है । कलेक्टर का मूल वेतन 7th pay commission के अनुसार 78,800 ₹ होता है। इसके अलावा कलेक्टर को अन्य सभी सुविधाएं भी मिलती है जैसे TA, DA और HRA आदि प्रदान की जाती है। कुल मिलाकर एक कलेक्टर की सैलरी 1 लाख रुपए तक हो जाती है । 


यह सैलरी आपके सेवाकाल के बढ़ने पर बढ़ती रहती है। इसके अलावा कलेक्टर रहने के लिए आवास , फोन भत्ता , चलने के लिए गाड़ी दी जाती है।  


कलेक्टर (Collector) के कार्य : 


जिले के राजस्व विभाग के प्रमुख अधिकारी कलेक्टर के निम्न जिमेदारिया होती है ।


    • भूमि अधिग्रहण 
    • भू राजस्व संग्रह 
    • विभिन्न करों का संग्रह कृषि संबंधित लोन का वितरण विभिन्न प्रकार के ST/SC, OBC & EWC , domicile , marriage और nationlity प्रमाण–पत्र को इश्यू करवाना।
    • तहसील सबडिवीजन तथा विभिन्न जिलों के ऑफिस का निरीक्षण करना।
    • जिले के अंतर्गत लिए गए कर्जों का बकाया होने पर कारवाई करवाना। 
    • अपने अंतर्गत कार्य करने वालो जैसे एसडीएम , एडीएम , तहसीलदार, आदि को आदेश देना है ।


डीएम तथा कलेक्टर में अंतर : 

इस पोस्ट के अंत में जाते-जाते आपको यह बताना आवश्यक है कि जिले के प्रमुख अधिकारी में डीएम और कलेक्टर में क्या अंतर होता है। आइए एक एक करके जानते है । 


डीएम( district magistrate )


किसी भी जिले का सबसे प्रमुख अधिकारी डीएम होता है। डीएम जिले के एडमिनिस्ट्रेशन विभाग का प्रमुख होता है इसके द्वारा पूरे जिले पर कंट्रोल रखा जाता है जिले में होने वाले सभी प्रकार की गतिविधियों का जिम्मेदार एक डीएम होता है । एक डीएम की पावर कलेक्टर से कहीं अधिक होती है। डीएम के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –


  • जिले का कानून व्यवस्था को बनाए रखना
  • पुलिस और जेल को अपने कंट्रोल में रखना
  • क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (criminal procedure code ) के तहत केस की सुनवाई करना। 
  • जिले में आने वाले आपातकालीन संकट हेतु प्रबंधन का करना। 

 कलेक्टर (collector)


कलेक्टर का पद जिले में प्रमुख पद होता है। कलेक्टर राजस्व विभाग के प्रमुख अधिकारी होते हैं। इनके अंतर्गत राजस्व से संबंधित विभिन्न प्रकार की भूमि कर, income tax, किसानों को ऋण वितरण, फसलों को होने वाले नुकसान का मुआवजा, आदि कार्य एक कलेक्टर के अंतर्गत आती है।  


कलेक्टर का प्रमुख कार्य भू–राजस्व का संग्रह करना है । यानी यू कहे तो भूमि और वित्तीय कार्यों का हेड कलेक्टर होता है ।


नोट –

कई जगहों पर कलेक्टर एसडीएम तथा डीएम ही कलेक्टर होता है। किसी बड़े जिले में दोनो कार्य करते है। जबकि किसी छोटे जिले हेतु कभी कभी कलेक्टर(collector) का कार्यभार डीएम ही संभालता है । किसी भी जिले में सभी डीएम एक कलेक्टर हो सकता है लेकिन सभी कलेक्टर एक डीएम नहीं हो सकता है। 



आज के इस पोस्ट में बस इतना ही उम्मीद करता हूं कि आप लोगों को हमारा आज का यह पोस्ट बेहद पसंद आया होगा। यदि अभी भी आपके मन में " कलेक्टर कैसे बने " से संबंधित कोई सवाल या सुझाव है तो आप कॉमेंट में जरूर लिखे हम आपके कमेंट का उत्तर अवश्य देंगे ।


धन्यवाद 

जय हिंद वंदे मातरम् 




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