TB Kaise Failta Hai? | जानिए कैसे फैलता है टीबी ? कारण, लक्षण ,उपचार और टिका। पूरी जानकारी हिंदी में:
यदि आप भी या आपके परिवार में कोई टीबी जैसे बीमारी से ग्रसित है और आप जानना चाहते है कि टीबी कैसे फैलता है?(TB kaise failta hai?) तो आज का यह पोस्ट आपके लिए ही है। आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि TB क्या है? (What is TB in Hindi),TB कैसे फैलता है?(TB kaise failta hai?),टीबी फैलने के मुख्य कारण ,TB का उपचार के तरिके,TB रोगी को क्या खाना चाहिए,TB रोग का टिका आदि प्रश्नो के उत्तर हम आपको इस पोस्ट में देंगे तो आप लोग इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।
- TB क्या है? (What is TB in Hindi)
- TB कैसे फैलता है?(TB kaise failta hai?)
- टीबी के प्रकार
- टीबी के लक्षण
- सक्रिय और गुप्त टीबी में क्या अंतर है?
- टीबी फैलने के मुख्य कारण
- TB का रोकथाम
- TB का उपचार के तरिके
- TB रोग की दवा
- TB रोगी को डॉक्टर से कब मिलना चाहिए
- TB रोग का टिका
- TB रोगी को क्या खाना चाहिए
- TB रोगी को खाने में क्या परहेज चाहिए
- अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
- निष्कर्ष
TB क्या है? (What is TB in Hindi):
TB का पूरा नाम Tuberculosis होता है। जिसे हम हिंदी में क्षय रोग के नाम से जानते है। और आम भाषा में इसे टीबी(TB) से सम्बोधित किया जाता है।
टीबी(TB) एक संक्रामक रोग है जो Mycobacterium tuberculosis नाम के बैक्टीरिया के कारण फैलता है। सामान्यतः टीबी(TB) रोग में सबसे ज्यादा प्रभावित अंग फेफड़ा है। टीबी(TB) रोग हवा में छोड़े गए स्वास के जरिये एक दूसरे में फैलता है और सबसे पहले हमारे फेफड़ो को प्रभावित करता है।
TB कैसे फैलता है?(TB kaise failta hai?)
एक सवाल हर किसी के मन में आता है कि (TB kaise failta hai?) जैसा कि हमें पता है कि टीबी(TB) एक संक्रामक बीमारी है। जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फ़ैल जाती है
इस बीमारी के फ़ैलाने का मुख्य कारण टीबी(TB) से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना है। अधिकतर जब वह खांसता है या छींकता है तो उसके द्वारा निकलने वाले स्वास की हवा में बैक्टीरिया के कण होते है जो हवा में फ़ैल जाते है। और जब कोई दूसरा व्यक्ति उस हवा को स्वास के रूप में अंदर लेते है तो वह टीबी(TB) रोग से ग्रसित हो सकता है।
टीबी के प्रकार:
- सक्रिय टीबी (Active TB)
- गुप्त टीबी (Latent TB)
सक्रिय टीबी(Active TB):
गुप्त टीबी(Latent TB):
टीबी के लक्षण:
टीबी एक ऐसा रोग है जो हमारे शरीर के प्रभाव अंगो को धीरे धीरे कमजोर कर देता है। शुरुआत में इसमें लोगो को खासी और जुकाम जैसा लगता है इस लिए लोग इसे नजरअंदाज कर देते है। और लम्बे समय के बाद लोग टीबी से ग्रसित हो जाते है। इसलिए समय से पहले इसके लक्षणों को पहचान करना बहुत जरुरी होता है। टीबी के प्रमुख लक्षण निचे दिए गए है -
- लम्बे समय तक खासी होना
- खासते समय खून का आना
- अनियमित बुखार रहना
- दुसरो के तुलना में रात में ज्यादा पसीना आना
- वजन में लगातार घटोतरी होना
- बार-बार थकान और कमजोरी का अनुभव होना।
- भूख न लगना
सक्रिय और गुप्त टीबी में क्या अंतर है?
सक्रिय टीबी गंभीर संक्रामक रोग है, जिसका समय पर उपचार कराना बेहद जरूरी होता है। यदि इसका उपचार समय पर नहीं किया गया, तो इसका प्रभाव बढ़ता जाता है जिससे मरीज की हालत गंभीर हो सकती है, इसके अलावा यह दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ , गुप्त टीबी में मरीज को इसके लक्षण का थोड़ा भी आभास नहीं होता है। जिससे उसके दैनिक दिनचर्या में कोई प्रभाव नहीं होता है। लेकिन भविष्य में यह जानलेवा भी हो सकता है।
इन तमाम बातो को और बीमारी की गम्भीरता को समझते हुए सक्रिय और गुप्त टीबी के बीच का अंतर को समझना और उचित समय पर उपचार करना जरुरी हो जाता है। इसलिए आइए जानते हैं इन दोनों के प्रमुख अंतर क्या हैं।
Sr. No |
सक्रिय टीबी |
गुप्त टीबी |
1 |
सक्रिय टीबी रोग में रोगी को इसके लक्षण दिखने लगते है- जैसे ख़ासी ,बुख़ार और जुखाम आदि। |
गुप्त टीबी रोग में रोगी को इसके लक्षण का अनुभव नहीं होता है। |
2 |
सक्रिय टीबी में बीमारी का प्रभाव तेजी से हमारे शरीर पर पड़ता है। |
गुप्त टीबी का प्रभाव हमारे शरीर में धीरे-धीरे होता है। |
3 |
सक्रिय टीबी में रोगी को तुरंत इलाज की जरुरत होती है। |
गुप्त टीबी में समय पर इलाज नहीं होने पर सक्रिय टीबी में बदल सकती है। |
4 |
सक्रिय टीबी में उपस्थित बैक्टीरिया सक्रीय रूप में होता है और हमारे शरीर के अंगो को तेजी से प्रभाबित करता है। |
गुप्त टीबी जैसे रोग में मौजूद बैक्टीरिया निष्क्रिय रूप से हमारे शरीर में उपस्थित होता है। |
5 |
सक्रिय टीबी में मरीज के मरने का खतरा अधिक होता है। |
गुप्त टीबी में मरने का खतरा बहुत कम होता है। |
टीबी फैलने के मुख्य कारण :
टीबी एक जानलेवा बीमारी है। और भारत में लाखों लोग इसके शिकार हो रहे है। टीबी रोग से बहुत लोगो ने अपनी जान भी गवाई है। टीबी रोग के फ़ैलाने का मुख्य कारण संक्रमित व्यक्ति है। जब संक्रमित व्यक्ति खासता और छीकता है तो उसके द्वारा छोड़े गए स्वास से टीबी के बैक्टीरिया हवा में मिल जाते है जिससे उस हवा के संपर्क में आने वाले सभी व्यक्ति को अपने चपेट में ले लेता है। इसके अलावा भी टीबी जैसे मारामारी के फ़ैलाने के अन्य कारण भी है जो निचे दिए गए है-
- रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना
- साफ़ सफाई पर ध्यान न देना
- पौष्टिक आहार का न मिलना
- भीड़ भाड़ वाले इलाके में रहना
- धूम्रपान करना और मादक पदार्थो का सेवन
- समय समय पर मेडिकल जाँच न कराना
TB का रोकथाम:
टीबी जैसे बीमारी को जड़ से तो ख़त्म नहीं किया जा सकता है लेकिन इसके बचाव के लिए कुछ सावधानियां जरूर अपनाई जा सकती है। टीबी जैसे रोग से रोकथाम के द्वारा हम न केवल अपनी सुरक्षा कर सकते है बल्कि आपने परिवार और आस पास के लोगो को भी इससे संक्रमित होने से रोक सकते है इसलिए आइये जानते है वह कौन से रोकथाम है जिससे टीबी जैसे रोग से बचा जा सकता है -
- टीबी से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचे
- हमेशा मास्क पहने और दुसरो को भी पहनने के लिए प्रेरित करे
- खुद की साफ़-सफाई पर ज्यादा ध्यान दे
- भीड़ भाड़ में जाने से बचे
- धूम्रपान और मादक पदार्थो का त्याग करे
- टीबी का जरुरी टिका (BCG ) जरूर लगवाए
- पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करे
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाये
TB का उपचार के तरिके:
वैसे तो मार्केट में टीबी के इलाज के लिए तरह तरह के खोजे हुई है- घरेलु उपाय,आयुर्वेदिक उपाय और आधुनिक उपाय (एंटीबायोटिक दवा) आदि। लेकिन क्या आपको पता है टीबी रोग का सही इलाज क्या है यदि नहीं तो कोई बात नहीं। तो हम आपके सहायता के लिए निचे कुछ प्रमुख टीबी के उपचार के तरीके बताये है-
DOTS थेरपी के द्वारा:
यह थेरेपी WHO के द्वारा मान्यता प्राप्त प्रभावी इलाज में से एक है। जो टीबी मरीजों के उपचार के लिए बनाया गया है। इसमें रोगी को लगभग 6 महीनो तक दवा दिया जाता है। इसके अंतर्गत टीबी मरीजों को भारत सरकार ने RNTCP के तहत मुफ्त दवा भी उपलब्ध करा रही है।
एंटीबायोटिक दवाओं के जरिये :
- Isoniazid - यह हमारे शरीर में टीबी रोग के बैक्टीरिया पैदा होने से रोकता है।
- Rifampicin- यह टेबलेट हमारे शरीर में मौजूद टीबी के बैक्टीरिया को निष्क्रिय कर देता है।
- Pyrazinamide- यह दवा उत्पन्न बैक्टीरिया के विकास को कम कर देता है। यानि बैक्टीरिया के उत्पन्न होने के प्रक्रिया को धीमा करने में सहायक होता है।
- Ethambutol- यह दवा का हमारे शरीर में कार्य ठीक उसी प्रकार है जैसा कि उपरोक्त दवा (Pyrazinamide) का है। यह भी पैदा होने वाले बैक्टीरिया के स्पीड को धीमा कर देता है।
उपरोक्त बतायी गयी दवाओं का सेवन डॉक्टर के सलाह के अनुसार ही करना उचित है। अन्यथा इसके दुष्परिणाम शरीर पर पड़ सकते है।
पोषक तत्वों से युक्त भोजन करे:
टीबी के रोग के इलाज में एक तरीका यह भी है कि आप भरपूर पोषक तत्वों से युक्त भोजन करे। इससे आपके शरीर में विटामिन और प्रोटीन बढ़ेगा। जिसके कारण अपने शरीर में WBC का संख्या में वृद्धि होगी और आप किसी भी तरह के रोगो से लड़ सकते है। यानि इस तरह विटामिन से युक्त भोजन करने से शरीर को रोग प्रति रोधक क्षमता बढ़ती है। और आप टीबी के होने की संभावना को भी न के बराबर कर सकते है।
नियमित मेडिकल जाँच के जरिये :
टीबी रोग के उपचार में सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप समय समय पर अपने स्वास्थ की जाँच कराते रहना चाहिए। इससे आप न केवल आप टीबी जैसे रोग से अपने आप को सुरक्षित कर सकते है अपितु अन्य रोगो को पहचान कर सही समय पर इलाज करा सकते है। जब भी आपको टीबी रोग के लक्षण दिखाई दे तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाकर मेडिकल चेक कराये। थोड़ी सी लापरवाही आपके जान का दुश्मन बन सकती है।
TB रोग की दवा:
टीबी रोग के इलाज में सबसे उपयोगी कुछ प्रमुख एंटीबायोटिक दवाओं के नाम निचे इस प्रकार है -
- Isoniazid
- Rifampicin
- Pyrazinamide
- Ethambutol
- Bedaquiline
- Linezolid
- Delamanid
- Clofazimine
नोट्स- उपरोक्त दिए गए दवाओं के सेवन बिना डॉक्टर के सलाह के कभी न ले। इससे साइड इफ़ेक्ट भी होने की संभावना है।
TB रोगी को डॉक्टर से कब मिलना चाहिए:
टीबी के रोगी को डॉक्टर से कब मिलना चाहिए? यह सवाल हर किसी के मन में होता है। इसका कारण यह है कि यदि टीबी रोग का सफल इलाज न हो तो यह रोग जानलेवा भी साबित हो सकता है। तो आइये जानते है कि टीबी रोगी को किन परिस्थिओं में डॉक्टर से मिलना अनिवार्य हो जाता है -
- इलाज के बावजूद भी दिन-प्रतिदिन लक्षणों का दिखाई देने पर
- लम्बे समय तक बुखार ठीक न होने पर
- ख़ासी में खून आने पर
- वजन में तेजी से गिरावट आने पर
- दवा का साइड इफ़ेक्ट होने पर
- रात में अनियमित पसीना आने पर
- दवा का कोई असर न होने पर
TB रोग का टिका:
टीबी(TB) रोग के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली टिका का नाम BCG टीका है। यह टिका टीबी(TB) के रोकथाम का एक प्रमुख तरीका है। BCG का पूरा नाम Bacillus Calmette Guerin है। इस टिका को मुख्यतः नवजात शिशुओं को लगाया जाता है। इस टिका को जन्म के एक महीने के अंदर लगवाना अनिवार्य है। इस टिका को सरकारी अस्पतालों और टीकाकरण केंद्रों पर जाकर निःशुल्क लगवाया जा सकता है।
इस टिका को व्यस्क लोगो को भी लगाया जा सकता है लेकिन इसका असर उतना प्रभावी नहीं होता है जितना कि नवजात शिशु पर होते है। इस टिका का प्रमुख काम टीबी रोग के बैक्टीरिया के प्रभाव को निष्क्रिय करना है। इस टिका से बच्चे 10 वर्षो तक सुरक्षित रहते है।
TB रोगी को क्या खाना चाहिए
वैसे तो हम हर दिन तरह-तरह के भोजन करते है लेकिन हमें पता नहीं होता है कि टीबी के रोग में किस तरह के आहार को ग्रहण करना चाहिए जो हमारे शरीर में होने वाले रोगो जैसे टीबी के संभावना को कम किया जा सके। तो इसी लिए आइये कुछ प्रमुख आहार के बारे में बात करते है जो उस हर व्यक्ति को सेवन करना चाहिए जो टीबी के रोग से ग्रसित हो-
- प्रोटीन से युक्त आहार जैसे-दूध,दही,मछली और अंडा आदि को अपने भोजन में शामिल करे।
- एनर्जी से भरपूर आहार जैसे- नारियल का पानी , ड्राई-फ्रूट, केला और रोटी आदि
- पालक,मेथी व अन्य हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए इससे शरीर में आयरन की कमी नहीं होती है। और शरीर में ताकत आती है।
- आम,सेव,संतरा और अनार आदि फलो के सेवन से शरीर में विटामिन और मिनरल मिलता है जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
TB रोगी को खाने में क्या परहेज चाहिए
- ज्यादा ऑयली खाने से दूर रहे।
- अत्यधिक मसालेदार खाना खाने से बचे और इसके साथ तीखा भी खाने से परहेज करे।
- यदि आप धूम्रपान और शराब का सेवन करते है तो तुरंत त्याग दे।
- ठन्डे पेय पदार्थो के सेवन जैसे-कोल्डड्रिक्स,आइस्क्रीम को परहेज करे।
- बासी खाने का सेवन न करे।
- अधिक मिष्टान खाने से बचे।
- किसी भी दवाओं का बिना डॉक्टर के सलाह से लेने से बचें।
ऊपर बताई गयी परहेजों को ध्यान में रखे। क्योकि भूल से भी इन तरह के सेवनो से आपके लिए जानलेवा हो सकता है।
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