वैसे तो आप लोगों ने शिक्षक बनने के बारे में सोचा होगा या सोचते होंगे। पर क्या कभी अपने कभी उस कॉलेज या स्कूल मेे principal बनने के बारे में सोचा है। यदि नहीं सोचा है या आप प्रिंसिपल बनना चाहते है। तो यह पोस्ट आपके लिए ही है। इस पोस्ट मेे हम जानेंगे कि principal कैसे बने। (Principal kaise bane)। Principal तरह के होते है। Principal कर्तव्य क्या है। Principal बनने के लिए योगताएँ क्या होनी चाहिए। और अंत में जानेंगे कि एक Principal सैलरी कितनी मिलती है।
- Principal किसे कहते है
- Principal के प्रकार
- Principal के अधिकार और कार्य
- Principal के लिए योग्यता
- Principal कैसे बने
- सैलरी एक प्रधानाचार्य (Principal) की
Principal किसे कहते हैं।
जिस प्रकार शिक्षक समाज का दर्पण होता है ठीक उसी प्रकार प्रधानाचार्य भी एक शिक्षक होता है जो पूरे विद्यालय के कार्यभार को संभालता है। और विद्यालय को संचालित करता है। विद्यार्थियों के लिए तरह-तरह के खेल का आयोजन करवाता है।
भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अधिक मात्रा में स्कूल और कॉलेज हैं चाहे वह पांचवी तक हो या आठवीं तक या इसके अधिक 12वीं तक हो। इनमें से एक कालेज दो तरह के होते हैं। पहला सरकारी तथा दूसरा नीजी (प्राइवेट)। भारत में सरकारी स्कूल हर गांव या नगर में प्राथमिक विद्यालय के नाम से होता है। जो शिशु से लेकर पांचवी तक होता है।
इस पोस्ट में हम जानेंगे कि आप एक किसी सरकारी या निजी विद्यालय में प्रधानाचार्य कैसे बनें ।
Principal कितने तरह से होते है
जिस प्रकार एक शिक्षक को वर्गीकृत किया गया है ठीक उसी प्रकार एक प्रधानाचार्य को भी अलग-अलग कक्षाओं के लिए अलग-अलग नियुक्त किया गया है। प्रधानाचार्य निम्न प्रकार के होते हैं-
- 1. प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य
- 2. सेकंडरी विद्यालय के प्रधानाचार्य
- 3. इंटरमीडिएट कक्षा के प्रधानाचार्य
- 4. किसी सरकारी या निजी कॉलेज के प्रधानाचार्य
- 5. किसी प्राइवेट विद्यालय के प्रधानाचार्य
- 6. किसी यूनिवर्सिटी के प्रधानाचार्य
Principal के अधिकार और कार्य
जैसा कि हम जानते हैं कि प्रधानाचार्य का किसी विद्यालय को सुचारू रूप से चलाने में अहम भूमिका होती है ऐसे में एक अच्छे एवं योग्य प्रधानाचार्य के कुछ अधिकार और कार्य होते हैं। जिसके द्वारा विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था में विकास किया जा सके।
- एक प्रधानाचार्य का प्रमुख कार्य विद्यालय परिसर को स्वच्छ एवं साफ बनाए रखना है।
- विद्यार्थियों को आवश्यक खेलकूद एवं अन्य सेवाएं समय-समय पर प्रदान करवाना है।
- शिक्षा प्रणाली में नवीनता एवं गुणवत्ता में परिवर्तन लाना है।
- प्रधानाचार्य का प्रमुख कर्तव्य है कि वह विभिन्न प्रकार के खेलकूद आयोजन में छात्रों को हिस्सा दिलाएं।
Principal कैसे बने
किसी भी विद्यालय या कॉलेज के प्रधानाचार्य बनने के लिए 4 तरीके होते हैं आइए एक-एक करके इन तरीकों के बारे में जाने।
1. पहला तरीक़ा-
एक सरकारी स्कूल या प्राइवेट स्कूल में प्रधानाचार्य में बनने के लिए अभी तक का उसी स्कूल में शिक्षक होना अनिवार्य है। प्रधानाचार्य बनने के लिए केवल शिक्षक होना ही आवश्यक नहीं है बल्कि उस स्कूल में शिक्षक रहते हुए 10 साल का अनुभव शिक्षक पद पर होना अनिवार्य है।
तथा इसके साथ-साथ यदि आपका संबंध भली-भांति उत्कृष्ट , संतोषजनक , योग्य रहा तो इन गुणों के आधार पर तथा 10 वर्ष के शिक्षक पद के अनुभव के आधार पर आपको सरकारी या प्राइवेट कॉलेज में प्रधानाचार्य बना दिए जाते हैं।
2. दूसरा तरीका
किसी सरकारी या प्राइवेट स्कूल में शिक्षक बनने का दूसरा तरीका पहले तरीके के जैसा ही है लेकिन इसमें कुछ अंतर है इस तरीके में आवेदक को शिक्षक पद पर रहते हुए 5 वर्ष का अनुभव मांगा जाता है तथा आवेदक TET exam पास होना अनिवार्य है। इसके बाद आपका शिक्षक रहते हुए अब आपके व्यवहार , कार्यकुशलता, अनुशासन शीलता आदि के आधार पर आपको प्रधानाचार्य का पद दिया जाता है।
3. तीसरा तरीका
किसी भी सरकारी या प्राइवेट स्कूल में शिक्षक बनने का तीसरा तरीका ऊपर दिए गए 2 तरीकों से बिल्कुल भिन्न है यह तरीके में प्रधानाचार्य यूपीएससी (UPSC) एग्जाम के द्वारा डायरेक्ट स्कूल या कॉलेज पर पोस्टिंग होती है। इस तरीके से प्रधानाचार्य बनने के लिए आपको यूपीएससी (UPSC) एग्जाम यानी सिविल सर्विस का एग्जाम देना पड़ता है। इस एग्जाम को पास करने के बाद डायरेक्ट प्रधानाचार्य के पद पर किसी भी स्कूल , कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी में भेजा जाता है।
4. चौथा तरीका
किसी स्कूल के प्रधानाचार्य बनने के लिए सर्वप्रथम आवेदक को अपना बारहवीं उत्तीर्ण करना अनिवार्य है उसके उपरांत आवेदकों ग्रेजुएशन के साथ-साथ पोस्ट ग्रेजुएशन करना पड़ता है उसके उपरांत b.Ed की डिग्री लेनी होती है इसके बाद आवेदक टीईटी TET का एग्जाम पास करना होता है। सभी योग्यताओं को पार करने के उपरांत आवेदक को सरकार द्वारा प्रधानाचार्य भर्ती के लिए आने वाले फॉर्म की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। जब इसको फॉर्म आता है तो उपरोक्त योग्यता के साथ आप इस एग्जाम को लेकर प्रधानाचार्य के पद प्राप्त कर सकते हैं।
सैलरी एक प्रधानाचार्य (Principal) की
इतना कुछ जानने के बाद तो हमारा मन इसी प्रश्न पर आकर रुक जाता है कि एक प्रधानाचार्य की सैलरी कितनी होती है क्या यह सैलरी शिक्षक से अधिक होती है। हां, यह सैलरी शिक्षक से कुछ अधिक होती है। पांचवी तक अर्थात प्राथमिक विश्वविद्यालय में एक प्रधानाचार्य की सैलरी लगभग ₹50000 प्रतिमाह होती है। इसके बाद दसवीं तक के कक्षा के प्रधानाचार्य की सैलरी ₹60000 तक तथा पोस्ट ग्रेजुएट प्रधानाचार्य के लिए लगभग 70000 तक होती है। यह सैलरी हर वर्ष बदलती रहती है।
आज के हमारे इस पोस्ट में बस इतना ही उम्मीद करता हूं कि आप लोगों को हमारी यह पोस्ट पसंद आई होगी यदि आपको पसंद आई है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
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3 टिप्पणियाँ
Sir apko achi knowledge diye hai thanks
जवाब देंहटाएंयदि किसी इंटर कॉलेज में दो प्रवक्ता सीनियर है
जवाब देंहटाएंएक पर सीनियर प्रवक्ता का शैक्षिक स्तर प्रास्नातक में तृतीय श्रेणी मेंहै B.Ed नहीं है प्रवक्ता पद पर कार्य करने का अनुभव 13 वर्ष है
नंबर दो पर कार्य करने वाले प्रवक्ता की योग्यता परास्नातक में प्रथम श्रेणी प्रशिक्षित B.Ed में प्रथम श्रेणी वक्ता पद पर कार्य करने का
अनुभव 12 वर्ष दोनों में कार्यभार ग्रहण करने योग्य किस को निर्धारित किया जाएगा
Koi bhi paristhiti mae private School kae principal ka salary kata ja sakta hae kya
जवाब देंहटाएंदोस्तों आपको यह पोस्ट कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं